Sept. 12, 2023
स्कूल में मेरा पहला दिन :
हाउस मिस्ट्रेस ने सोने के समय अचानक पर्दे के द्वारा मेरे हाथों से अपना नया फ़ोन छीन लिया । “लाइट्स ऑफ़ होने के बाद मोबाइल फ़ोन का उपयोग करना मना है,” उन्होंने सख़्त और ठंडी आवाज़ में बोला । “तुम्हें नियम तो मालूम है!”
लेकिन सच तो यह था कि लोगों ने मुझे नियमों के बारे में कुछ बताया नहीं था । मुझे समझ नहीं आ रहा था कि सब क्या हो रहा था । मेरे बोर्डिंग स्कूल के पहले दिन यह हुआ ।सब नया था : उस रात को मेरी ज़िंदगी में पहले बार थी कि मैं डॉरमेट्री में सोऊँगी ; उस से पहेले उस दिन दोपहर में मेरे पिता जी ने मुझे बोर्डिंग स्कूल की हैड मिस्ट्रेस से मिलकर उनके साथ छोड़ दिया ; ऑस्ट्रेलिया में यह मेरा दूसरा दिन था ; और मैं देर से पहुँच गई थी । स्कूल ईयर एक हफ़्ते से पहले शुरू हो चुका था ।
उस रात को मुझे अपने नये बिस्तर पे लेटे हुए नींद नहीं आ रही थी । तब तक हाउस मिस्ट्रेस ने सज़ा देने के तौर पर फ़ोन ले लिया, जब तक मैं अंधेरे में चुपचाप अपने नॉकिया २२०० पर स्नेक का खेल खेल रही थी । उस दिनों स्मार्ट फ़ोन नहीं होते थे और SMS भेजना बहुत महँगा था । इसलिए लोगों से बात करना मुश्किल था । और अब स्नेक खेलने की मेरी सज़ा यह थी कि स्कूल के बाहर कोई संपर्क संभव नहीं था । दुनिया एकाएक बहुत छोटी लगती थी, एकदम मेरे नये कमरे के जैसे । उस समय कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि पर्दे के पीछे पाँच और डरी हुईं लड़कियाँ सोने का नाटक कर रही थीं ।
स्कूल में मेरा पहला दिन :
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हाउस मिस्ट्रेस ने सोने के समय अचानक पर्दे के द्वारा (this sound sto me like she snatched the phone using the curtains, maybe you want to say from behind the curtains? Like 'पर्दे के पीछे से') मेरे हाथों से अपनमेरा नया फ़ोन छीन लिया । “लाइट्स ऑफ़ होने के बाद मोबाइल फ़ोन का उपयोग करना मना है,” उन्होंने सख़्त और ठंडी आवाज़ में बोला । “तुम्हें नियम तो मालूम है!”
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लेकिन सच तो यह था कि लोगों ने मुझे नियमों के बारे में कुछ बताया नहीं था । मुझे समझ नहीं आ रहा था कि सब क्या हो रहा थाहै । मेरे बोर्डिंग स्कूल के पहले दिन यह हुआ ।सब नया था : उस रात को, मेरी ज़िंदगी में पहलेी बार थी कि, मैं डॉरमेट्री में सोऊँगी ने वाली थी; उस सेदिन पहेले उस दिन, दोपहर में, मेरे पिता जी ने मुझे बोर्डिंग स्कूल की हैड मिस्ट्रेस से मिलकर उनके साथ छोड़ दिया ; ऑस्ट्रेलिया में यह मेरा दूसरा दिन था ; और मैं देर से पहुँच गईी थी । स्कूल ईयर एक हफ़्ते से पहले शुरू हो चुका था ।
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उस रात को मुझे अपने नये बिस्तर पे लेटे हुए नींद नहीं आ रही थी । तब तक हाउस मिस्ट्रेस ने सज़ा देने के तौर पर फ़ोन ले लिया, जब तक मैं अंधेरे में चुपचाप अपने नॉकिया २२०० पर स्नेक का खेल खेल रही थी । उस, जब हाउस मिस्ट्रेस ने सज़ा देने के तौर पर फ़ोन ले लिया । उन दिनों स्मार्ट फ़ोन नहीं होते थे और SMS भेजना बहुत महँगा था । इसलिए लोगों से बात करना मुश्किल था । और अब स्नेक खेलने की मेरी सज़ा यह थी कि स्कूल के बाहर कोई संपर्क संभव नहीं था । दुनिया एकाएक बहुत छोटी लगती थी, एकदमने लगी, बिल्कुल मेरे नये कमरे के जैसेी तरह । उस समय कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि पर्दे के पीछे पाँच और डरी हुईं लड़कियाँ सोने का नाटक कर रही थीं ।
Feedback
Lovely text, looking forward to reading more of it! Only some tiny mistakes with the tenses, I tried to find some resources for Hindi tenses but so far no luck. I'll keep looking!
There were a couple places where I just changed the text because it sounded more natural to me, but aren't really wrong. For instance you said "एकदम मेरे नये कमरे के जैसे" - which I changed to "बिल्कुल मेरे नये कमरे की तरह". Your phrase was completely correct, so it's possible that there are just stylistic differences in expression. Normally I tend to use "तरह" for comparisons and "जैसे" more for presenting examples but again. I think that's more preference ;)
स्कूल में मेरा पहला दिन |
हाउस मिस्ट्रेस ने सोने के समय को अचानक पर्दे के द्वारा मेरे हाथों से अपना नया फ़ोन छीन लिया । “लाइट्स ऑफ़ के बाद मोबाइल फ़ोन का उपयोग करना मना है,” उन्होंने सख़्त और ठंडी आवाज़ में बोला । “तुम्हें नियम तो मालूम है!” लेकिन सच तो यह था कि लोगों ने मुझे नियमों के बारे में कुछ बताया नहीं था । मुझे समझ नहीं आ रही थी कि सब क्या हो रहा था । मेरे बोर्डिंग स्कूल के पहले दिन यह हुआ और सब नया था : उस रात को मेरी ज़िंदगी में डॉरमेट्री में सोने की पहली बार थी ; उस से पहेले उस दिन दोपहर में मेरे पिता जी ने मैं बोर्डिंग स्कूल की हैड मिस्ट्रेस मिलकर उनके साथ छोड़ दिया ; ऑस्ट्रेलिया में यह मेरा दूसरा दिन था ; और मैं देर पहुँच गई थी । स्कूल ईयर एक हफ़्ते पहले शुरू हो चुका था । उस रात को मुझे अपने नये बिस्तर लेटे हुए नींद नहीं आ रही थी । तब तक हाउस मिस्ट्रेस ने सज़ा देने के तौर पर फ़ोन ले लिया, जब तक मैं अंधेरे में चुपचाप अपने नॉकिया २२०० पर स्नेक का खेल खेल रही थी । उस दिनों स्मार्ट फ़ोन नहीं होते थे और SMS भेजना बहुत महँगा था । इसलिए लोगों से बात करना मुश्किल था । और अब स्नेक खेलने की मेरी सज़ा यह थी कि स्कूल के बाहर कोई संपर्क असंभव भी था । दुनिया एकाएक बहुत छोटी लगती थी, एकदम मेरे नये कमरे के जैसे । उस समय से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि पर्दे के पीछे पाँच और डरे हुए लड़कियाँ सोने का नाटक कर रही थीं । |
हाउस मिस्ट्रेस ने सोने के समय को अचानक पर्दे के द्वारा मेरे हाथों से अपना नया फ़ोन छीन लिया । “लाइट्स ऑफ़ के बाद मोबाइल फ़ोन का उपयोग करना मना है,” उन्होंने सख़्त और ठंडी आवाज़ में बोला । “तुम्हें नियम तो मालूम है!” लेकिन सच तो यह था कि लोगों ने मुझे नियमों के बारे में कुछ बताया नहीं था । मुझे समझ नहीं आ रहा था कि सब क्या हो रहा था । मेरे बोर्डिंग स्कूल के पहले दिन यह हुआ और सब नया था : उस रात को मेरी ज़िंदगी में डॉरमेट्री में सोने की पहली बार थी ; उस से पहेले उस दिन दोपहर में मेरे पिता जी ने मैं बोर्डिंग स्कूल की हैड मिस्ट्रेस मिलकर उनके साथ छोड़ दिया ; ऑस्ट्रेलिया में यह मेरा दूसरा दिन था ; और मैं देर पहुँच गई थी । स्कूल ईयर एक हफ़्ते पहले शुरू हो चुका था । उस रात को मुझे अपने नये बिस्तर लेटे हुए नींद नहीं आ रही थी । तब तक हाउस मिस्ट्रेस ने सज़ा देने के तौर पर फ़ोन ले लिया, जब तक मैं अंधेरे में चुपचाप अपने नॉकिया २२०० पर स्नेक का खेल खेल रही थी । उस दिनों स्मार्ट फ़ोन नहीं होते थे और SMS भेजना बहुत महँगा था । इसलिए लोगों से बात करना मुश्किल था । और अब स्नेक खेलने की मेरी सज़ा यह थी कि स्कूल के बाहर कोई संपर्क असंभव भी था । दुनिया एकाएक बहुत छोटी लगती थी, एकदम मेरे नये कमरे के जैसे । उस समय से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि पर्दे के पीछे पाँच और डरे हुए लड़कियाँ सोने का नाटक कर रही थीं । |
स्कूल में मेरा पहला दिन : हाउस मिस्ट्रेस ने सोने के समय अचानक पर्दे के द्वारा मेरे हाथों से अपना नया फ़ोन छीन लिया । “लाइट्स ऑफ़ होने के बाद मोबाइल फ़ोन का उपयोग करना मना है,” उन्होंने सख़्त और ठंडी आवाज़ में बोला । “तुम्हें नियम तो मालूम है!” लेकिन सच तो यह था कि लोगों ने मुझे नियमों के बारे में कुछ बताया नहीं था । मुझे समझ नहीं आ रहा था कि सब क्या हो रहा था । मेरे बोर्डिंग स्कूल के पहले दिन यह हुआ ।सब नया था : उस रात को मेरी ज़िंदगी में पहले बार थी कि मैं डॉरमेट्री में सोऊँगी ; उस से पहेले उस दिन दोपहर में मेरे पिता जी ने मुझे बोर्डिंग स्कूल की हैड मिस्ट्रेस से मिलकर उनके साथ छोड़ दिया ; ऑस्ट्रेलिया में यह मेरा दूसरा दिन था ; और मैं देर से पहुँच गई थी । स्कूल ईयर एक हफ़्ते से पहले शुरू हो चुका था । उस रात को मुझे अपने नये बिस्तर पे लेटे हुए नींद नहीं आ रही थी । तब तक हाउस मिस्ट्रेस ने सज़ा देने के तौर पर फ़ोन ले लिया, जब तक मैं अंधेरे में चुपचाप अपने नॉकिया २२०० पर स्नेक का खेल खेल रही थी । उस दिनों स्मार्ट फ़ोन नहीं होते थे और SMS भेजना बहुत महँगा था । इसलिए लोगों से बात करना मुश्किल था । और अब स्नेक खेलने की मेरी सज़ा यह थी कि स्कूल के बाहर कोई संपर्क संभव नहीं था । दुनिया एकाएक बहुत छोटी लगती थी, एकदम मेरे नये कमरे के जैसे । उस समय कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि पर्दे के पीछे पाँच और डरी हुईं लड़कियाँ सोने का नाटक कर रही थीं । स्कूल में मेरा पहला दिन : |
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