June 19, 2023
यह अफ़सोस की बात है कि जब मैं लिखता हूँ तो मैं अपनी गलतियों को देख नहीं पाता हूँ। कम से कम जब मैं हिंदी में लिखता हूँ। कुछ लोग कहते हैं कि उस महत्वपूर्ण कौशल को प्राप्त करने का एकमात्र तरीका व्याकरण का अध्ययन है। दुर्भाग्य से मैं हिन्दी व्याकरण के अध्ययन पर अधिक समय नहीं दे पाता। इसलिए मैंने भाषा सीखने का पुराना तरीका चुना है जो पढ़ने और लिखने पर बहुत जोर देता है। हालाँकि मेरे सामने एक बहुत लंबा रास्ता है। मेरे अनुभव के अनुसार किसी विदेशी भाषा को बोलना सीखने के लिए लगभग बीस लाख शब्द लिखने की जरूरत है। मुझे पता है कि यह थोड़ा अजीब लगता है। अगर कोई बोलना सीखना चाहे तो लिखने से क्या फ़ायदा? मैं नहीं कह सकता क्योंकि मैं भाषा का प्रोफेसर नहीं हूँ। जो भी हो, जो भाषाएँ मैं आज बोल सकता हूँ, वे सभी भाषाएँ मैंने इस तरह सीखी हैं। हो सकता है कि कुछ लोगों को व्याकरण से एलर्जी हो और इस प्रकार के लोग भाषा का प्रयोग करके सीखते हैं।
एलर्जी और व्याकरण
यह अफ़सोस की बात है कि जब मैं लिखता हूँ तो मैं अपनी गलतियों को देख नहीं पाता हूँ। कम से कम जब मैं हिंदी में लिखता हूँ। कुछ लोग कहते हैं कि उस महत्वपूर्ण कौशल को प्राप्त करने का एकमात्र तरीका व्याकरण का अध्ययन है। दुर्भाग्य से मैं हिन्दी व्याकरण के अध्ययन परमें अधिक समय नहीं दे पाता। इसलिए मैंने भाषा सीखने का पुराना तरीका चुना है जो पढ़ने और लिखने पर बहुतज्यादा (fits better since you are comparing methods) जोर देता है। हालाँकि मेरे सामने एक बहुत लंबा रास्ता है। मेरे अनुभव के अनुसार किसी विदेशी भाषा को बोलना सीखने के लिए लगभग बीस लाख शब्द लिखने की जरूरत है। मुझे पता है कि यह थोड़ा अजीब लगता है। अगर कोई बोलना सीखना चाहे तो लिखने से क्या फ़ायदा?
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यह अफ़सोस की बात है कि जब मैं लिखता हूँ तो मैं अपनी गलतियों को देख नहीं पाता हूँ। कम से कम जब मैं हिंदी में लिखता हूँ। कुछ लोग कहते हैं कि उस महत्वपूर्ण कौशल को प्राप्त करने का एकमात्र तरीका व्याकरण का अध्ययन है। दुर्भाग्य से मैं हिन्दी व्याकरण के अध्ययन पर अधिक समय नहीं दे पाता। इसलिए मैंने भाषा सीखने का पुराना तरीका चुना है जो पढ़ने और लिखने पर बहुत जोर देता है। हालाँकि मेरे सामने एक बहुत लंबा रास्ता है। मेरे अनुभव के अनुसार किसी विदेशी भाषा को बोलना सीखने के लिए लगभग बीस लाख शब्द लिखने की जरूरत है। मुझे पता है कि यह थोड़ा अजीब लगता है। अगर कोई बोलना सीखना चाहे तो लिखने से क्या फ़ायदा? यह अफ़सोस की बात है कि जब मैं लिखता हूँ तो मैं अपनी गलतियों को देख नहीं पाता हूँ। कम से कम जब मैं हिंदी में लिखता हूँ। कुछ लोग कहते हैं कि उस महत्वपूर्ण कौशल को प्राप्त करने का एकमात्र तरीका व्याकरण का अध्ययन है। दुर्भाग्य से मैं हिन्दी व्याकरण के अध्ययन |
मैं नहीं कह सकता क्योंकि मैं भाषा का प्रोफेसर नहीं हूँ। जो भी हो, जो भाषाएँ मैं आज बोल सकता हूँ, वे सभी भाषाएँ मैंने इस तरह सीखी हैं। हो सकता है कि कुछ लोगों को व्याकरण से एलर्जी हो और इस प्रकार के लोग भाषा का प्रयोग करके सीखते हैं। |
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