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sarahlouise

April 11, 2021

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दसवां दिन: मेरी दिनचर्या

क़ोरोना वाइरस के समय से मेरी दिनचर्या बहुत बदल गई है । आजकल मैं हमेशा अपने घर पर हूँ । इस के कारण मैं अक्सर बहुत ऊबती हूँ । कभी-कभी मैं बहुत अकेली महसूस करती हूँ । शायद आपको याद है कि मैं अकेली रहती हूँ और मेरा परिवार एक दूसरा देश दूर-दूर यहाँ से रहता है । पिछले साल 16 अप्रैल को एक डॉक्टर ने मुझसे बताया कि मुझे क़ोरोना वाइरस था । दो हफ़्ते उस के पहले पूरा नीडेरलैंड लाक्डाउन में गया । उस समय मैं काफ़ी हताश था क्योंकि मेरे यूनिवर्सिटी ने मेरी सबसे बड़ी परीक्षा रद्द की । परीक्षा से चार दिन पहले सरकार ने सभी स्कूल , यूनिवर्सिटी , पुस्तकालय , दुकान , रेस्टोरेंट , चर्च , मस्जिद , जिम , इत्यादि बंद हो चुका था । मेरी सभी कक्षाएं अचानक ऑनलाइन थीं क्योंकि सिर्फ़ मेरी कक्षाएं कैंसिल नहीं हो गई थी । मुझे ऑनलाइन कक्षाएं पसंद होती हैं क्योकिं मेरा घर कैम्पस जाने काफ़ी देर लगती है । आमतौर पर मुझे पहली बस से एक छोटा-सा स्टेशन जाना है और फिर मुझे रेलगाड़ी से एक दूसरा शहर जाना है और उस के बाद मुझे एक और बस मिलनी है । शुरू में मैंने सोचा कि घर पर रहना कैम्पस आने की तुलना में आसान था । पर एक हफ़्ते के बाद मुझे पता चला कि इस तरह का पढ़ना बहुत तनावपूर्ण भी हो सकता है । प्रमुख कारण इसके लिए था कि रोज़ का काम भी अचानक बहुत मुश्किल होता था । दुकानें और सब्जी मंडियों आदि बंद हुए , तो जल्दी कुछ और खाना ख़रीदना नामुमकिन था । 16 अप्रैल के बाद कोई चीज़ें बाहर ख़रीदना एकदम नामुमकिन था । मैं ग्यारह हफ़्ते बीमार थी । मैं अपनी कक्षाएँ खतम नहीं पायी । मैं अभी तक इस के बारे में बहुत दुःख है ।

गरमी महीनों में सरकार ने फ़ैसला किया कि जिम, दुकानें और रेस्टोरेंट एक बार फिर खुली हो सकते थे । मैं हर दिन पार्क में अपना रात का खाना खाती थी और मैं जिम में ट्रेडमिल पर एक घंटा दौड़ती थी । यह मुमकिन था क्योकिं गरमियों के दिनों नीडरलैंड में बहुत लम्बे होते हैं । सूरज रात को क़रीब 9-10 बजे डूबता होता है । उस समय के आसपास मैं इतनी देर क़ोरोना से बीमार होने के वजह से बहुत कमज़ोर थी तो दो हफ़्ते तक मैं हर दिन ट्रेडमिल पर पैदल चली । मैं धीरे-धीरे और मजबूत हो गई । उस गरमी के दिनों में मैंने इतना लाचार महसूस नहीं किया था । मैंने अपने घर ऊपर-नीचे से साफ़ किया । मैंने कुछ किताबें पढ़ी । मैंने अच्छा खाना बनाया । लेकिन पतझड़ में सरकार ने फ़ैसला किया कि एक दूसरा लाक्डाउन और एक कर्फ्यू भी ज़रूरी थीं । और उस के बाद मेरी दिनचर्या ज़रूर बर्बाद हो गई । रात को मुझे नींद नहीं आती है । सवेरे मुझे भूख नहीं लगती हूँ । दोपहर में मैं थकान ही चुकी है । मुझे काफ़ी डिप्रेस्ट है । मैं चाहती हूँ कि लाक्डाउन जल्द ही खतम होगा ।


Since COVID, my daily routine has changed a lot. These days I am always at home. Because of this I am often very bored. Sometimes I feel very lonely. Perhaps you remember that I live alone and that my family lives in another country far far away from here. Last year, on 16 April, a doctor diagnosed me with COVID-19. Two weeks prior to this, the entire Netherlands went into lockdown. At that time I was quite frustrated because my University cancelled my biggest exam. Four days before the exam (was meant to take place), each and every school, university, library, shop, restaurant, church, mosque, gym, you name it had already been closed. Every single one of my classes were suddenly online because only classes had not been cancelled. I do like online classes generally because it takes some time to get from my house to campus. Usually I have to take a bus to a small station and then I have to take the train to a different city, and again after that I have to take one more bus. At the start, I thought that staying home would be easier than coming to campus. But after a week, I realised that studying in this way can also be very stressful. The primary reason for this was that everyday things suddenly also because very difficult. The shops and markets etc were closed, so quickly going out to buy some more food wasn't possible. After 16 April buying anything (outside of the house) was utterly impossible. I was sick for 11 weeks. I wasn't able to finish my classes. I'm still very upset about this.

In the summer months, the government decided that gyms, shops and restaurants could be opened once again. Everyday I ate my dinner in the park and I went running for an hour on the treadmill at the gym for an hour. This is possible in the Netherlands because summer days are very long. The sun sets at around 9 or 10 PM. Around that time I was very weak from having been sick with COVID-19 for so long. So for two weeks, I walked on the treadmill everyday. I gradually became stronger. During those summer days I wasn't feeling so helpless. I cleaned my house from top to bottom. I read some books. I made good food. However, during autumn the government decided that another lockdown and also a curfew were necessary. And after that my daily routine was definitely ruined. At night I can't sleep. In the morning I don't feel hungry. In the afternoon, I am already tired. I feel quite depressed. I hope that this lockdown can end soon.

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दसवां दिन: मेरी दिनचर्या

क़ोरोना वारस के समय से मेरी दिनचर्या बहुत बदल गई है । आजकल मैं हमेशा अपने घर पर रहती हूँ । इस के कारण से मैं अक्सर बहुत ऊब जाती हूँ । कभी-कभी मैं बहुत अकेली महसूस करती हूँ । शायद आपको याद है कि मैं अकेली रहती हूँ और मेरा परिवार एक दूसरा देशयहाँ से बहुत दूर- दूर यहाँ सेसरे देश में रहता है । पिछले साल 16 अप्रैल को एक डॉक्टर ने मुझे बताया कि मुझे क़ोरोना वाइरस था । उससे दो हफ़्ते उस के पहले पूर नीडेरलैंड में लाक्डाउन मेंलग गया था। उस समय मैं काफ़ी हताश थाहो गई थी क्योंकि मेरे यूनिवर्सिटी ने मेरी सबसे बड़ी परीक्षा रद्द की थी । परीक्षा से चार दिन पहले सरकार ने सभी स्कूल , यूनिवर्सिटी , पुस्तकालय , दुकान , रेस्टोरेंट , चर्च , मस्जिद , जिम , इत्यादि बंद हो चुका था कर दिए थे। मेरी सभी कक्षाएं अचानक ऑनलाइन हो गई थीं क्योंकि सिर्फ़ मेरी कक्षाएं कैंसिलही रद्द नहीं हो गई थी । मुझे ऑनलाइन कक्षाएं पसंद होती हैं क्योकिं मेर घर से कैम्पस जाने में काफ़ी देर लगती है । आमतौर पर मुझे सबसे पहल बस से एक छोटा-साे से स्टेशन तक जाना होता है और फिर मुझे रेलगाड़ी से एक दूसर शहर जाना होता है और उस के बाद मुझे एक और बस मिलनलेनी पड़ती है । शुरू में मैंने सोचा कि घर पर रहना कैम्पस जाने की तुलना में आसान था होगा। पर एक हफ़्ते के बाद मुझे पता चला कि इस तरह का पढ़ना बहुत तनावपूर्ण भी हो सकता है । इसका प्रमुख कारण इसके लिएये था कि रोज़ का काम भी अचानक बहुत मुश्किल हो गया था । दुकानें और सब्जी मंडियों आदि बंद हुए ,ो गए थे तो जल्दी से कुछ और खाना ख़रीदना नामुमकिन हो गया था । 16 अप्रैल के बाद, कोई भी चीज़ें बाहर से ख़रीदना एकदम से नामुमकिन हो गया था । मैं ग्यारह हफ़्ते तक बीमार रही थी । मैं अपनी कक्षाएँ खतम नहीं पायी कर पाई। मैं अभी तक इस के ारे में बहुत दुःख है ।

गरमी के महीनों में सरकार ने फ़ैसला किया कि जिम, दुकानें और रेस्टोरेंट एक बार फिर खुली हो सकते थे हैं। मैं हर दिन पार्क में, अपना रात का खाना खाती थी और मैं जिम में ट्रेडमिल पर एक घंटा दौड़ती थी । यह मुमकिन था क्योकिं गरमियों के दिनों नीरलैंड में बहुत लम्बे होते हैं । सूरज रात को क़रीब 9-10 बजे डूबता होता है । उस समय के आसपास, मैं इतनी देर क़ोरोना से बीमार होने क वजह से बहुत कमज़ोर हो गई थी तो दो हफ़्ते तक मैं हर दिन ट्रेडमिल पर पैदल चली । मैं धीरे-धीरे और मजबूत हो गई । उस गरमीगर्मियों के उन दिनों में मैंने इतना लाचार महसूस नहीं किया था । मैंने अपने घर को ऊपर-नीचे से साफ़ किया । मैंने कुछ किताबें पढ़ी । मैंने अच्छा खाना बनाया । लेकिन पतझड़ में सरकार ने फ़ैसला िया कि एक दूसरा लाक्डाउन और एक कर्फ्यू भी ज़रूरी थीं । और उस के बाद मेरी दिनचर्या ज़रूर बर्बाद हो गई । रात को मुझे नींद नहीं आती है । सवेरे मुझे भूख नहीं लगती हूँ । दोपहर मेंतकं थकान ही चुकी होती हूं । मुझेैं काफडिप्रेस्ट हैचिंतत महसूस करती हूं । मैं चाहती हूँ कि लाक्डाउन जल्द ही खतम होगा

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दसवां दिन: मेरी दिनचर्या

क़ोरोना वाइरस के समय से मेरी दिनचर्या बहुत बदल गई है । आजकल मैं हमेशा अपने घर पर हूँ । इस के कारण मैं अक्सर बहुत ऊबती हूँ । कभी-कभी मैं बहुत अकेली महसूस करती हूँ । शायद आपको याद है कि मैं अकेली रहती हूँ और मेरा परिवार एक दूसरा देश दूर-दूर यहाँ से रहता है । पिछले साल 16 अप्रैल को एक डॉक्टर ने मुझसे बताया कि मुझे क़ोरोना वाइरस था । दो हफ़्ते उस के पहले पूरा नीडेरलैंड लाक्डाउन में गया । उस समय मैं काफ़ी हताश था क्योंकि मेरे यूनिवर्सिटी ने मेरी सबसे बड़ी परीक्षा रद्द की । परीक्षा से चार दिन पहले सरकार ने सभी स्कूल , यूनिवर्सिटी , पुस्तकालय , दुकान , रेस्टोरेंट , चर्च , मस्जिद , जिम , इत्यादि बंद हो चुका था । मेरी सभी कक्षाएं अचानक ऑनलाइन थीं क्योंकि सिर्फ़ मेरी कक्षाएं कैंसिल नहीं हो गई थी । मुझे ऑनलाइन कक्षाएं पसंद होती हैं क्योकिं मेरा घर कैम्पस जाने काफ़ी देर लगती है । आमतौर पर मुझे पहली बस से एक छोटा-सा स्टेशन जाना है और फिर मुझे रेलगाड़ी से एक दूसरा शहर जाना है और उस के बाद मुझे एक और बस मिलनी है । शुरू में मैंने सोचा कि घर पर रहना कैम्पस आने की तुलना में आसान था । पर एक हफ़्ते के बाद मुझे पता चला कि इस तरह का पढ़ना बहुत तनावपूर्ण भी हो सकता है । प्रमुख कारण इसके लिए था कि रोज़ का काम भी अचानक बहुत मुश्किल होता था । दुकानें और सब्जी मंडियों आदि बंद हुए , तो जल्दी कुछ और खाना ख़रीदना नामुमकिन था । 16 अप्रैल के बाद कोई चीज़ें बाहर ख़रीदना एकदम नामुमकिन था । मैं ग्यारह हफ़्ते बीमार थी । मैं अपनी कक्षाएँ खतम नहीं पायी । मैं अभी तक इस के बारे में बहुत दुःख है ।

क़ोरोना वारस के समय से मेरी दिनचर्या बहुत बदल गई है । आजकल मैं हमेशा अपने घर पर रहती हूँ । इस के कारण से मैं अक्सर बहुत ऊब जाती हूँ । कभी-कभी मैं बहुत अकेली महसूस करती हूँ । शायद आपको याद है कि मैं अकेली रहती हूँ और मेरा परिवार एक दूसरा देशयहाँ से बहुत दूर- दूर यहाँ सेसरे देश में रहता है । पिछले साल 16 अप्रैल को एक डॉक्टर ने मुझे बताया कि मुझे क़ोरोना वाइरस था । उससे दो हफ़्ते उस के पहले पूर नीडेरलैंड में लाक्डाउन मेंलग गया था। उस समय मैं काफ़ी हताश थाहो गई थी क्योंकि मेरे यूनिवर्सिटी ने मेरी सबसे बड़ी परीक्षा रद्द की थी । परीक्षा से चार दिन पहले सरकार ने सभी स्कूल , यूनिवर्सिटी , पुस्तकालय , दुकान , रेस्टोरेंट , चर्च , मस्जिद , जिम , इत्यादि बंद हो चुका था कर दिए थे। मेरी सभी कक्षाएं अचानक ऑनलाइन हो गई थीं क्योंकि सिर्फ़ मेरी कक्षाएं कैंसिलही रद्द नहीं हो गई थी । मुझे ऑनलाइन कक्षाएं पसंद होती हैं क्योकिं मेर घर से कैम्पस जाने में काफ़ी देर लगती है । आमतौर पर मुझे सबसे पहल बस से एक छोटा-साे से स्टेशन तक जाना होता है और फिर मुझे रेलगाड़ी से एक दूसर शहर जाना होता है और उस के बाद मुझे एक और बस मिलनलेनी पड़ती है । शुरू में मैंने सोचा कि घर पर रहना कैम्पस जाने की तुलना में आसान था होगा। पर एक हफ़्ते के बाद मुझे पता चला कि इस तरह का पढ़ना बहुत तनावपूर्ण भी हो सकता है । इसका प्रमुख कारण इसके लिएये था कि रोज़ का काम भी अचानक बहुत मुश्किल हो गया था । दुकानें और सब्जी मंडियों आदि बंद हुए ,ो गए थे तो जल्दी से कुछ और खाना ख़रीदना नामुमकिन हो गया था । 16 अप्रैल के बाद, कोई भी चीज़ें बाहर से ख़रीदना एकदम से नामुमकिन हो गया था । मैं ग्यारह हफ़्ते तक बीमार रही थी । मैं अपनी कक्षाएँ खतम नहीं पायी कर पाई। मैं अभी तक इस के ारे में बहुत दुःख है ।

गरमी महीनों में सरकार ने फ़ैसला किया कि जिम, दुकानें और रेस्टोरेंट एक बार फिर खुली हो सकते थे । मैं हर दिन पार्क में अपना रात का खाना खाती थी और मैं जिम में ट्रेडमिल पर एक घंटा दौड़ती थी । यह मुमकिन था क्योकिं गरमियों के दिनों नीडरलैंड में बहुत लम्बे होते हैं । सूरज रात को क़रीब 9-10 बजे डूबता होता है । उस समय के आसपास मैं इतनी देर क़ोरोना से बीमार होने के वजह से बहुत कमज़ोर थी तो दो हफ़्ते तक मैं हर दिन ट्रेडमिल पर पैदल चली । मैं धीरे-धीरे और मजबूत हो गई । उस गरमी के दिनों में मैंने इतना लाचार महसूस नहीं किया था । मैंने अपने घर ऊपर-नीचे से साफ़ किया । मैंने कुछ किताबें पढ़ी । मैंने अच्छा खाना बनाया । लेकिन पतझड़ में सरकार ने फ़ैसला किया कि एक दूसरा लाक्डाउन और एक कर्फ्यू भी ज़रूरी थीं । और उस के बाद मेरी दिनचर्या ज़रूर बर्बाद हो गई । रात को मुझे नींद नहीं आती है । सवेरे मुझे भूख नहीं लगती हूँ । दोपहर में मैं थकान ही चुकी है । मुझे काफ़ी डिप्रेस्ट है । मैं चाहती हूँ कि लाक्डाउन जल्द ही खतम होगा ।

गरमी के महीनों में सरकार ने फ़ैसला किया कि जिम, दुकानें और रेस्टोरेंट एक बार फिर खुली हो सकते थे हैं। मैं हर दिन पार्क में, अपना रात का खाना खाती थी और मैं जिम में ट्रेडमिल पर एक घंटा दौड़ती थी । यह मुमकिन था क्योकिं गरमियों के दिनों नीरलैंड में बहुत लम्बे होते हैं । सूरज रात को क़रीब 9-10 बजे डूबता होता है । उस समय के आसपास, मैं इतनी देर क़ोरोना से बीमार होने क वजह से बहुत कमज़ोर हो गई थी तो दो हफ़्ते तक मैं हर दिन ट्रेडमिल पर पैदल चली । मैं धीरे-धीरे और मजबूत हो गई । उस गरमीगर्मियों के उन दिनों में मैंने इतना लाचार महसूस नहीं किया था । मैंने अपने घर को ऊपर-नीचे से साफ़ किया । मैंने कुछ किताबें पढ़ी । मैंने अच्छा खाना बनाया । लेकिन पतझड़ में सरकार ने फ़ैसला िया कि एक दूसरा लाक्डाउन और एक कर्फ्यू भी ज़रूरी थीं । और उस के बाद मेरी दिनचर्या ज़रूर बर्बाद हो गई । रात को मुझे नींद नहीं आती है । सवेरे मुझे भूख नहीं लगती हूँ । दोपहर मेंतकं थकान ही चुकी होती हूं । मुझेैं काफडिप्रेस्ट हैचिंतत महसूस करती हूं । मैं चाहती हूँ कि लाक्डाउन जल्द ही खतम होगा

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